حديث رقم 1552 - من كتاب سنن أبي داوود - كِتَاب الْمَنَاسِكِ

نص الحديث

1552 حَدَّثَنَا الْقَعْنَبِيُّ ، عَنْ مَالِكٍ ، عَنِ ابْنِ شِهَابٍ ، عَنْ عُرْوَةَ بْنِ الزُّبَيْرِ ، عَنْ عَائِشَةَ زَوْجِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ ، أَنَّهَا قَالَتْ : خَرَجْنَا مَعَ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي حَجَّةِ الْوَدَاعِ فَأَهْلَلْنَا بِعُمْرَةٍ ، ثُمَّ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : مَنْ كَانَ مَعَهُ هَدْيٌ فَلْيُهِلَّ بِالْحَجِّ مَعَ الْعُمْرَةِ ، ثُمَّ لَا يَحِلُّ حَتَّى يَحِلَّ مِنْهُمَا جَمِيعًا فَقَدِمْتُ مَكَّةَ وَأَنَا حَائِضٌ وَلَمْ أَطُفْ بِالْبَيْتِ ، وَلَا بَيْنَ الصَّفَا وَالْمَرْوَةِ ، فَشَكَوْتُ ذَلِكَ إِلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ : انْقُضِي رَأْسَكِ وَامْتَشِطِي وَأَهِلِّي بِالْحَجِّ ، وَدَعِي الْعُمْرَةَ ، قَالَتْ : فَفَعَلْتُ فَلَمَّا قَضَيْنَا الْحَجَّ أَرْسَلَنِي رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مَعَ عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ أَبِي بَكْرٍ إِلَى التَّنْعِيمِ فَاعْتَمَرْتُ ، فَقَالَ : هَذِهِ مَكَانُ عُمْرَتِكِ قَالَتْ : فَطَافَ الَّذِينَ أَهَلُّوا بِالْعُمْرَةِ بِالْبَيْتِ وَبَيْنَ الصَّفَا وَالْمَرْوَةِ ثُمَّ حَلُّوا ، ثُمَّ طَافُوا طَوَافًا آخَرَ بَعْدَ أَنْ رَجَعُوا مِنْ مِنًى لِحَجِّهِمْ ، وَأَمَّا الَّذِينَ كَانُوا جَمَعُوا الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ فَإِنَّمَا طَافُوا طَوَافًا وَاحِدًا . قَالَ أَبُو دَاوُدَ : رَوَاهُ إِبْرَاهِيمُ بْنُ سَعْدٍ ، وَمَعْمَرٌ ، عَنْ ابْنِ شِهَابٍ ، نَحْوَهُ لَمْ يَذْكُرُوا طَوَافَ الَّذِينَ أَهَلُّوا بِعُمْرَةٍ وَطَوَافَ الَّذِينَ جَمَعُوا الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ *

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اخرجه البخاري في صحيحه ( 6/201 برقم 290 و 6/207 برقم 301 و 6/215 برقم 312 و 6/216 برقم 313 و 6/218 برقم 315 و 25/977 برقم 1492 و 25/979 برقم 1496 و 25/980 برقم 1497 و 25/980 برقم 1498 و 25/1009 برقم 1548 و 25/1023 برقم 1569 و 25/1024 برقم 1572 و 25/1027 برقم 1579 و 25/1071 برقم 1646 و 26/1103 برقم 1704 و 26/1105 برقم 1707 و 26/1106 برقم 1708 و 26/1107 برقم 1709 و 56/1824 برقم 2821 و 56/1844 برقم 2851 و 64/2217 برقم 4157 و 64/2217 برقم 4169 و 68/2800 برقم 5039 و 73/2929 برقم 5252 و 73/2936 برقم 5263 ) ومسلم في صحيحه ( 22/507 برقم 2195 و 22/507 برقم 2196 و 22/507 برقم 2197 و 22/507 برقم 2198 و 22/507 برقم 2199 و 22/507 برقم 2200 و 22/507 برقم 2201 و 22/507 برقم 2202 و 22/507 برقم 2203 و 22/507 برقم 2204 و 22/507 برقم 2205 و 22/507 برقم 2206 و 22/507 برقم 2207 و 22/507 برقم 2208 و 22/507 برقم 2210 و 22/507 برقم 2211 و 22/507 برقم 2212 و 22/514 برقم 2247 و 22/519 برقم 2260 ) وأبو داود في سننه ( 5/305 برقم 1523 و 5/314 برقم 1549 و 5/314 برقم 1550 و 5/314 برقم 1551 و 5/314 برقم 1553 و 5/314 برقم 1554 و 5/377 برقم 1751 و 5/377 برقم 1752 ) والترمذي في جامعه ( 9/559 برقم 806 ) والنسائي في الصغرى ( 1/155 برقم 243 و 1/187 برقم 289 و 1/187 برقم 290 و 3/223 برقم 349 و 24/1351 برقم 2634 و 24/1383 برقم 2699 و 24/1383 برقم 2700 و 24/1383 برقم 2701 و 24/1383 برقم 2702 و 24/1386 برقم 2723 و 24/1393 برقم 2746 و 24/1412 برقم 2785 و 24/1412 برقم 2786 و 24/1520 برقم 2973 و 24/1521 برقم 2974 ) وابن ماجه في سننه ( 26/968 برقم 2982 و 26/969 برقم 2983 و 26/969 برقم 2984 و 26/973 برقم 3000 و 26/980 برقم 3019 و 26/1016 برقم 3094 و 27/1045 برقم 3154 ) ومالك في الموطأ ( 22/208 برقم 744 و 22/208 برقم 745 و 22/208 برقم 746 و 22/251 برقم 893 و 22/266 برقم 935 و 22/266 برقم 936 ) وابن خزيمة في صحيحه ( 3/289 برقم 916 و 9/492 برقم 2401 و 9/492 برقم 2402 و 9/494 برقم 2404 و 9/524 برقم 2493 و 9/524 برقم 2573 و 9/524 برقم 2577 و 9/524 برقم 2578 و 9/524 برقم 2579 و 9/524 برقم 2685 و 9/524 برقم 2686 و 9/524 برقم 2711 و 9/524 برقم 2722 و 9/524 برقم 2765 و 9/524 برقم 2794 و 9/524 برقم 2795 و 9/525 برقم 2838 و 9/525 برقم 2841 ) وابن حبان في صحيحه ( 42/269 برقم 3864 و 42/269 برقم 3867 و 42/270 برقم 3881 و 42/270 برقم 3907 و 42/270 برقم 3908 و 42/279 برقم 3986 و 42/279 برقم 3991 و 42/279 برقم 3992 و 42/280 برقم 4000 و 42/280 برقم 4001 و 42/280 برقم 4002 و 42/280 برقم 4003 و 42/281 برقم 4008 و 42/281 برقم 4009 و 42/281 برقم 4010 و 42/281 برقم 4016 و 42/284 برقم 4080 ) والدارمي في سننه ( 7/455 برقم 1816 و 7/470 برقم 1849 و 7/475 برقم 1854 ) والنسائي في الكبرى ( 2/162 برقم 277 و 25/1263 برقم 15432 و 25/1263 برقم 15433 و 25/1263 برقم 15454 و 25/1263 برقم 15477 و 25/1264 برقم 2700 و 25/1264 برقم 2701 و 25/1264 برقم 2822 و 25/1264 برقم 2824 و 25/1264 برقم 3042 و 25/1264 برقم 3043 و 25/1264 برقم 3045 و 25/1264 برقم 3046 و 25/1264 برقم 3047 و 25/1264 برقم 3048 و 25/1264 برقم 3089 و 25/1264 برقم 3090 و 25/1264 برقم 3105 و 25/1264 برقم 3107 و 25/1264 برقم 3146 و 25/1264 برقم 3147 و 25/1264 برقم 3148 و 25/1264 برقم 3156 و 71/3026 برقم 7990 و 2/162 برقم 277 و 25/1263 برقم 15432 و 25/1263 برقم 15433 و 25/1263 برقم 15454 و 25/1263 برقم 15477 و 25/1264 برقم 2700 و 25/1264 برقم 2701 و 25/1264 برقم 2822 و 25/1264 برقم 2824 و 25/1264 برقم 3042 و 25/1264 برقم 3043 و 25/1264 برقم 3045 و 25/1264 برقم 3046 و 25/1264 برقم 3047 و 25/1264 برقم 3048 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/429 برقم 9222 و 61/1009 برقم 17592 ) والبيهقي في السنن الصغير ( 6/186 برقم 1196 و 6/201 برقم 1270 و 6/203 برقم 1292 و 6/203 برقم 1293 و 6/209 برقم 1339 و 6/209 برقم 1341 و 6/209 برقم 1347 و 6/211 برقم 1362 ) وأبو يعلى الموصلي في مسنده ( 1/149 برقم 4248 و 1/149 برقم 4388 و 1/149 برقم 4427 و 1/149 برقم 4532 و 1/149 برقم 4597 و 1/149 برقم 4640 ) وابن جارود في المنتقى ( 5/62 برقم 409 و 5/62 برقم 410 و 5/62 برقم 445 و 5/62 برقم 453 و 5/62 برقم 467 و 6/89 برقم 879 ) والباغندي في الأمالي ( 1/5 برقم 64 ) وأبو عوانة في مستخرجه ( 12/392 برقم 2517 و 12/396 برقم 2540 و 12/396 برقم 2541 و 12/397 برقم 2542 و 12/397 برقم 2543 و 12/397 برقم 2544 و 12/397 برقم 2545 و 12/397 برقم 2546 و 12/397 برقم 2547 و 12/397 برقم 2548 و 12/397 برقم 2551 و 12/398 برقم 2552 و 12/399 برقم 2553 و 12/399 برقم 2559 و 12/400 برقم 2560 و 12/400 برقم 2562 و 12/400 برقم 2563 و 12/401 برقم 2564 و 12/401 برقم 2565 و 12/401 برقم 2566 و 12/401 برقم 2567 و 12/401 برقم 2569 و 12/401 برقم 2572 و 12/401 برقم 2573 و 12/401 برقم 2574 و 12/401 برقم 2575 و 12/402 برقم 2577 و 12/411 برقم 2646 و 12/411 برقم 2647 و 12/412 برقم 2651 و 12/419 برقم 2690 و 12/420 برقم 2701 و 12/420 برقم 2702 و 12/422 برقم 2720 ) والسجستاني في مسند عائشة لابن أبي داود ( 0/3 برقم 76 ) وابن المنذر في الأوسط ( 9/123 برقم 756 ) والطحاوي في شرح معاني الآثار ( 7/9 برقم 2326 و 7/9 برقم 2327 و 7/9 برقم 2328 و 7/9 برقم 2329 و 7/9 برقم 2343 و 7/17 برقم 2491 و 7/18 برقم 2516 و 7/18 برقم 2517 و 7/18 برقم 2519 و 7/18 برقم 2521 و 7/18 برقم 2522 و 7/18 برقم 2523 و 7/18 برقم 2524 ) والطحاوي في مشكل الآثار ( 0/209 برقم 2021 و 0/209 برقم 2022 و 0/209 برقم 2023 و 0/248 برقم 3242 و 0/248 برقم 3244 و 0/248 برقم 3245 و 0/248 برقم 3246 و 0/248 برقم 3247 و 0/248 برقم 3251 ) و ( 5/14 برقم 56 ) والطبراني في الأوسط ( 1/1 برقم 838 و 1/1 برقم 1205 و 1/1 برقم 2259 و 6/40 برقم 3661 و 18/80 برقم 4147 و 18/82 برقم 4668 و 22/1 برقم 7138 و 22/1 برقم 7597 و 22/4 برقم 8721 ) وأبو الشيخ الأصبهاني في طبقات المحدثين بأصبهان ( 14/250 برقم 845 ) وابن المقرئ في معجمه ( 1/1 برقم 549 و 18/40 برقم 989 ) والدارقطني في سننه ( 12/230 برقم 2196 و 12/230 برقم 2389 و 12/230 برقم 2390 ) وأبو يوسف القاضي في الآثار ( 0/16 برقم 486 ) والشافعي في السنن المأثورة ( 0/26 برقم 432 و 0/26 برقم 434 و 0/26 برقم 435 و 0/26 برقم 436 و 0/26 برقم 437 ) والشافعي في اختلاف الحديث ( 0/80 برقم 233 و 0/80 برقم 236 ) والطيالسي في مسنده ( 250/3 برقم 1504 و 250/3 برقم 1552 و 250/3 برقم 1599 و 250/3 برقم 1654 ) والحميدي في مسنده ( 0/17 برقم 200 و 0/17 برقم 201 و 0/17 برقم 202 و 0/17 برقم 203 و 0/17 برقم 204 ) و ( 0/10 برقم 260 و 0/10 برقم 268 ) وأبو القاسم البغوي في الجعديات ( 0/112 برقم 737 و 0/270 برقم 2467 ) و ( 2/88 برقم 1692 و 2/88 برقم 1702 و 2/88 برقم 1703 و 2/88 برقم 1770 ) وابن أبي شيبة في مصنفه ( 13/2311 برقم 16119 و 13/2509 برقم 17367 و 13/2509 برقم 17368 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 1/19 برقم 817 ) وابن أبي شيبة في مصنفه ( 13/2517 برقم 17426 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 2/4 برقم 1372 ) وابن أبي شيبة في مصنفه ( 13/2637 برقم 18151 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/403 برقم 8124 ) وابن أبي شيبة في مصنفه ( 13/2759 برقم 18813 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/404 برقم 8129 ) وابن أبي شيبة في مصنفه ( 40/5250 برقم 35615 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/416 برقم 8201 و 12/416 برقم 8211 و 12/416 برقم 8221 و 12/417 برقم 8251 و 12/417 برقم 8252 ) والفاكهي في أخبار مكة ( 0/395 برقم 2771 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/417 برقم 8253 و 12/417 برقم 8260 و 12/417 برقم 8266 و 12/418 برقم 8272 و 12/418 برقم 8273 و 12/418 برقم 8275 و 12/418 برقم 8276 و 12/418 برقم 8277 و 12/418 برقم 8278 و 12/425 برقم 8280 و 12/418 برقم 8293 و 12/418 برقم 8294 و 12/418 برقم 8329 و 12/422 برقم 8744 و 12/422 برقم 8745 و 12/429 برقم 8851 و 12/422 برقم 8853 و 12/429 برقم 8855 ) والفاكهي في أخبار مكة ( 0/395 برقم 2771 ) والبيهقي في السنن الكبير ( 12/422 برقم 8861 و 12/422 برقم 9158 و 12/422 برقم 9220 )